विकास
एक रोज़ आते-आते
नजरे रूक गई
कोई आदमी नहीं
एक बड़ा सा हाथ
किसी के आंसुओं की परवाह किए बिना
भारी-भरकम पेड़ों को जमीन पर सुला रहा है
देखते ही देखते धरती वीरान हो गई
आखिर हो क्या रहा है
हैरानी बढ़ी.........
नजरे रूक गई
कोई आदमी नहीं
एक बड़ा सा हाथ
किसी के आंसुओं की परवाह किए बिना
भारी-भरकम पेड़ों को जमीन पर सुला रहा है
देखते ही देखते धरती वीरान हो गई
आखिर हो क्या रहा है
हैरानी बढ़ी.........