...

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डर 🥺🥺🥺🥺🥺🥺🥺
एक जिंदगी ऐसी थी जिसको सिवाए डर के आलावा कुछ नही मिला

जिस को अपना समझा वो अपना न बन सका

जिसको खुदके पास रखना चाहा वो दूर होता चला गया

इंसानों को अपना समझा वो तो दुश्मन बन गया
जो दुश्मन था वो अपना बन कर चला गया

जिसपे जुबान थी वो तो जहर उगलते चले गए
जिसपे जुबान नहीं वो बीन बोले प्यार देते चले गए

जिते जी वो हमे प्यार ना दे सके मरने के बाद क्या देंगे

यहां...