...

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Turu lub
अपना प्यार नही प्रेम है ,
बस मैं यकीन नही कर पता हूं।
मैं अक्सर भटक कर लौट आता हूं ।

तुम बदलते नही मेरे लिए ,
मैं जाने कितने जिस्म बदल कर आता हूं।

बरसो बाद भी वही ठहराव से सुनते हो,
मैं जाने कितने तूफान सुनाने आता हूं ।

ना एक दूजे को पाने का मोह ,
ना ही कभी खोने का भय ।
इन सबसे ऊपर , वो भाव जगाने आता हूं।
© mukesh_syahi