...

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काश अगर ऐसा होता
#लालसा_की_प्रतिध्वनि
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जरा सुन भी ले ओ दो पल के साथी
ये तो पता था तेरा साथ पाना नामुमकिन होगा
पर किस्मत में ही नही होगा ये नही पता था ।

एक अरसा हो गए तुझे महसूस किए
पर यू मुड़े भी तो कहा से ,
एक वक्त था जब पास न होकर भी तुझे महसूस किया करते थे ।
बाकी और क्या कहे हम
जब से तुझे देखा
खुद को बस तुझमें ही पाया है ।

जरा तू भी महसूस करले ओ दो पल के साथी
ये उलझनों से भरा सिर किसी की बाहों में आराम करना चाहता है ,
ये दिल अपना घर तलाश रहा है ।