...

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इबादत है तू मेरी
हे माहताब,

तेरे दीदार बिन कैसे रहता हूँ,
बिन तुझे देखे आब की बूंद नहीं पीता हूँ।

रेख़्ता नहीं है मेरा इश्क़ तुझसे,
मेरी रूह में बस तू ही तू बस्ता है।

बर्षों बिताये है मैंने तेरे दीदार के बिना,
एक झलक से तू मुझे बर्षों की ख़ुशी देता है।

ज़मी में मिलने से पहले अपनी इबादत कहता हूँ,
मिला दे ज़मी में या ये तू अपना बना ले,
ये दुआ मैं रब से हर बार करता हूँ।।

पल भर की ख़ुशी जो तू देता है,
वह पूरे ज़हन में नहीं।।

खाली रह जाती है झोलिया,
हर किसी को तेरी इबादत मिलती नहीं।।


दुआ है मेरी हर कोई इबादत में फ़ना हो तेरी,
मुक़म्मल हो जिंदगी का सफ़र मेरा इबादत में मरना हो तेरी।।