...

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इबादत है तू मेरी
हे माहताब,

तेरे दीदार बिन कैसे रहता हूँ,
बिन तुझे देखे आब की बूंद नहीं पीता हूँ।

रेख़्ता नहीं है मेरा इश्क़ तुझसे,
मेरी रूह में बस तू ही तू बस्ता है।

बर्षों बिताये है मैंने तेरे दीदार के बिना,
एक झलक से तू मुझे बर्षों की...