प्रकृति के सवाल
ऐ मनुष्य,
तुम मेरे ही तो अंश हो,
फिर क्यों इतने विध्वंस हो?
राख़ या मिट्टी बन मेरे पास ही तो आना है,
फिर भी तेरा अहंकार...
तुम मेरे ही तो अंश हो,
फिर क्यों इतने विध्वंस हो?
राख़ या मिट्टी बन मेरे पास ही तो आना है,
फिर भी तेरा अहंकार...