...

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रो पड़ी जिंदगी...
कहर ऐ मुफ़लिसी ने कुछ यों किया सभी को तबाह,
कि कहीं किसी की शादी रुकी किसी का रुका निकाह..

ले आंचल में बच्चे को मजबूर माँ इधर उधर भटक रही
चीखते बिलखते नन्हें सी जां को सीच अपने सुखे पड़े स्तनों से रही..

भर आंखों में आसुओं को फ़रियाद वो लोगों से कर रही
भीख नही.. काम कर कुछ.. चंद पैसा कमा..
पेट अपना और अपने बच्चे का पालना वो चाह रही...

विवश वो पेट की अग्नि में सर्वस्व स्वाहा करने को तैयार
वो चंद...