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मिलते रहेंगे हम बाद भी
शीर्षक : - मिलते रहेंगे हम बाद भी

रिक्त हो बनी थी ज़िंदगी तेरे जाने के बाद भी
लम्हा ख़ामोशी से बोल रहे तेरे जाने के बाद भी

जहाँ से गुज़रे थे वो लम्हा बयाँ कर रहीं खुशियाँ
तेरे होने के एहसास जी रहे तेरे जाने के बाद भी

कहाँ था तूने जब हम साथ चले इश्क़-ए-शहर थे
हाथों में हाथ दिखा रहे बीते पल तेरे जाने के बाद भी

कैसे घड़ियाँ सजी थी जैसे पतझड़ में वसंत बहार की
मासूम इश्क़ मासूमियत दिखा रहा, तेरे जाने के बाद भी

पग पग निशाँ से पग चले,आसुँ बन सजे एहसास अब
वही हसीनता तेरी, सता रही तेरे जाने के बाद भी

वो चंचल मुखड़ा,काजल की इशारे, ओठो की क़ायनात
हाँ, जुल्फों की छुअन मौजूद है तेरे जाने के बाद भी...!

क्योंकि इश्क़-ए-वादा पूरी वफ़ा से निभा रहें हम शीतल
तूने कहाँ था यही अमर इश्क़ बन मिलेते रहेंगे हम बाद भी