...

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Zindagi Aur Khwab
ख्वाब को ख्वाब ही रहने दो,
जिंदगी की जरूरत न समझो,
हकीक़त में बदलना चाहोगे तो,
कभी चैन से सो नहीं पाओगे...

दिल की ख्वाहिश व जज्बातों की,
फरमाइश पूरी नहीं होती,
चाहकर के इनका बोझ अपनी,
सारी जिंदगी ढो नहीं पाओगे...

गर चाहोगे की तकलीफ तुम्हारी,
परछाई के पास भी न भटके,
कर्तव्यनिष्ठा और समाज के डर से,
अपनी पलकें भिगो नही पाओगे...
© Yash Shah