बचपन
_*बड़ा सुन्दर बड़ा प्यारा होता है बचपन का तराना*_
_*न भेदभाव न राजनीति न वैरभाव न ही कोई फसाना*_
_*आज आया फिर से याद वो ही प्यारे बचपन का ज़माना*_
_*कितना अच्छा होता है बचपन सच्चाई का होता ज़माना*_
कोई बताओ न कभी
किरदारों की कहानी
कभी रूठा करता था राजा
कभी मनाया करती थी रानी
याद आती है अब भी
मुझको नानी की वो कहानी
सोने से पहले सुनाया करती थी जो
कितनी सुन्दर थी उसकी जुबानी
प्यारा कितना था वो बचपन
अब वो नाव कितनी पुरानी
होती थी कागज की कश्ती
थोड़ा बारिश का वो पानी
याद आती है अब मुझको
वो ही प्यारी जिंदगानी
कितनी सुन्दर होती थी न
उन किरदारों की कहानी
खेलना अटकन और बटकन
झूलों की थी दुनिया दीवानी
आज फिर से याद आता
बीती बारिश का वो पानी
कैसे भूलूं भला यादें
कैसे किरदारों की कहानी
रूठकर कर मन जाना अपना
कट्टी बट्टी की थी निशानी
छोटी छोटी बातों पर लड़ना
क्यों बढ़ चली अब ये कहानी
छुपना- छुपाना रूठना - मनाना
कितनी सुन्दर थी जिंदगानी
ना था कुछ भी अच्छा न बुरा
होती थी मानो हर शाम दीवानी
चेहरे पर मासूमियत दिल में इंसानियत
यही हुआ करती थी सबकी कहानी
आंखो में सपने सब होते थे अपने
कितनी सुन्दर होती थी रवानी
प्यारी तीखी नोंक झोंक
फिर महकती वो बात पुरानी
याद आ रही आज बहुत
वो प्यारी सी बचपन की कहानी
अपनों के प्यार की खातिर
होती रब की मेहरबानी
कहते हैं कैसे ये दुनिया भूले
अपने बचपन की कहानी
© Akash Raghav
_*न भेदभाव न राजनीति न वैरभाव न ही कोई फसाना*_
_*आज आया फिर से याद वो ही प्यारे बचपन का ज़माना*_
_*कितना अच्छा होता है बचपन सच्चाई का होता ज़माना*_
कोई बताओ न कभी
किरदारों की कहानी
कभी रूठा करता था राजा
कभी मनाया करती थी रानी
याद आती है अब भी
मुझको नानी की वो कहानी
सोने से पहले सुनाया करती थी जो
कितनी सुन्दर थी उसकी जुबानी
प्यारा कितना था वो बचपन
अब वो नाव कितनी पुरानी
होती थी कागज की कश्ती
थोड़ा बारिश का वो पानी
याद आती है अब मुझको
वो ही प्यारी जिंदगानी
कितनी सुन्दर होती थी न
उन किरदारों की कहानी
खेलना अटकन और बटकन
झूलों की थी दुनिया दीवानी
आज फिर से याद आता
बीती बारिश का वो पानी
कैसे भूलूं भला यादें
कैसे किरदारों की कहानी
रूठकर कर मन जाना अपना
कट्टी बट्टी की थी निशानी
छोटी छोटी बातों पर लड़ना
क्यों बढ़ चली अब ये कहानी
छुपना- छुपाना रूठना - मनाना
कितनी सुन्दर थी जिंदगानी
ना था कुछ भी अच्छा न बुरा
होती थी मानो हर शाम दीवानी
चेहरे पर मासूमियत दिल में इंसानियत
यही हुआ करती थी सबकी कहानी
आंखो में सपने सब होते थे अपने
कितनी सुन्दर होती थी रवानी
प्यारी तीखी नोंक झोंक
फिर महकती वो बात पुरानी
याद आ रही आज बहुत
वो प्यारी सी बचपन की कहानी
अपनों के प्यार की खातिर
होती रब की मेहरबानी
कहते हैं कैसे ये दुनिया भूले
अपने बचपन की कहानी
© Akash Raghav