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आजका सुविचार
🌷🌿🌷::::::::::मैंने उससे प्रेम किया
बहुत किया
ज्यादा
हद से ज्यादा ...
और फिर
उसे जाने दिया...

ठीक वैसे ही
जैसे अपने सबसे प्यारे
सबसे दुलारे पंक्षी को
आज़ाद कर दिया हों
सोने के पिंजरे से...

मैंने प्रतीक्षा भी नहीं कि
ना कोई उम्मीद
कि वो लौटकर
वापिस आये मुझमे...

मैंने शिकायत भी नहीं की
क्यों वो ना दें सका
उस प्रेम का आधा भी
जितना मैंने उससे किया...
क्योंकि मेरे पास
तराजू नहीं
की हिसाब रख सकू
हर बार कितने ग्राम
प्यार दिया मैंने..

मैं जो उसके प्रेम में
नदी हों सकती थी
अविरल
सरल
निश्चल
शीतल
लेकिन
मैं बन गयी पर्वत
अचल स्थिर अपरिवर्तनीय
शायद मेरी
यही नियति है....

जानते हों
मोह में डूबे व्यक्ति का
निर्मोही हो जाना
संसार की
सबसे दुःखद प्रक्रिया है::::::