...

3 views

एक असम्भव प्रेम गाथा अनन्त में लेखक और प्रशनवाचक के मध्य।।
लेखक अपनी मौज में,
मस्ती हवाओं के शुरू में बहता हुआ -
और बौराया हुआ -
प्रश्नवाचक की ओर देखकर -
और उसकी बोली और उसके शब्दों का उपहास
करता हुआ ऐसे हवाओं की लहरों में बहाते हुए जा रहा था मनो उसे प्रशनवाचक का एक एक सवाल पहले से ज्ञात हो!
लेखक प्रश्नवाचक की ओर देखकर और जोंर ज़ोर से हंसता कहता हुआ "हमें सब मालूम है"

जैसे तुम्हारे क्या प्रश्न है -वासुदेव श्रीकृष्ण लेखक।।
स्क्रीन राइटर प्रशनवाचक द्वारा सवाल अंकित।।
🧶 क्या प्रेम का अन्त कलियुग के महत्वपूर्ण है।।
🧶 क्या वासना भोग ही प्रेम समर्पण संग्रह है।।

जी हां यह गाथा अनन्त इसलिए क्योंकि यह समय का सार जो कालचक्र है जो कर्मो द्वारा आयोजित है इसलिए समय को खंडित ना करके प्रेम स्वयं त्याग बलिदान मूल्य समर्पण करता जिससे कालचकृ निरंतर जारी रहता है इसलिए
इसलिए गाथा में त्री पूजन महत्वपूर्ण है जिसमें पहले आता है -
अनाथ
किन्नर
वासना
और इसी के साथ गाथा अनन्त होकर पूर्ण होकर निरंतर लय के साथ बहती है।।।🙏🪔
#अपूण
© All Rights Reserved