...

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ग़ज़ल
यूं रिश्ता सही रास्तों पर नहीं है,
मगर बात आयी हदों पर नहीं है।

तेरा नाम जब से है आया ज़ुबां पर,
कोई नाम दूजा लबों पर नहीं है।

तुम्हें सोचते हैं हर इक सांस पर यूं,
कोई जोर अब धड़कनों पर नहीं है।

मनाया जो दिल को तुझे भूल जाए,
कहा दिल ने वश चाहतों पर नहीं है।

बयां हाल सारा किया है ख़तों में ,
प अहसास सब कागजों पर नहीं है।

© शैलशायरी