...

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आइना
आज फिर रो दिए हम
टूटे सपनो की चादर में फिर सिमट गए हम ।
एक वक्त था जब अपने सबसे करीबी इंसान की तलाश थी ,
एक वक्त आया जब अपने मजबूत वजूद की तलाश थी ।
आज फिर रो दिए हम
अपने जज्बातों में खुद को फिर भीगो बैठे हम ।
पर काश अगर ऐसा होता
दुनिया के सारे रिश्तों से भी मजबूत अपना रिश्ता होता ।
कोई मेरी भी आत्मा का एक जोड़ा होता।
काश अगर ऐसा होता
मगर असलियत से वाकिफ आज फिर रो दिए हम ।




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