...

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हम और तुम
रात का वह भयावह बवंडर
सहम गया था रूह तक भितर
वक्त के रहते दोनों संभल गये
वरना सबकुछ हो जाता बिखर

तुम्हारी की हुई पहल रंग लायी
बात सिमित थी पर कारगर हुई
आओ के ये दुरियाँ अब मिटाते है
हम दोनों संग संग कॉफी पीते है


© ख़यालों में रमता जोगी