इंतजार का पल
लिखने जा रही हूं जिंदगी की कहानी कुछ नहीं कुछ पुरानी
पुरानी रूप में फिर निखार आता है नहीं धूप में फिर तिमर भाग जाता है
तिमर भाग गया यह सोच कर मैं हैरान हूं वह तो मेरे पीछे है इसी से परेशान हूं
परेशानी को खुशी से छुपा रही हूं अपने आंसुओं को कहीं ना कहीं दबा रही हूं
काश कि कोई साथ होता काश एक बार दिल फिर रोता कंधे पर सर...
पुरानी रूप में फिर निखार आता है नहीं धूप में फिर तिमर भाग जाता है
तिमर भाग गया यह सोच कर मैं हैरान हूं वह तो मेरे पीछे है इसी से परेशान हूं
परेशानी को खुशी से छुपा रही हूं अपने आंसुओं को कहीं ना कहीं दबा रही हूं
काश कि कोई साथ होता काश एक बार दिल फिर रोता कंधे पर सर...