...

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वो रात
बातो बातो में जो ढली होगी
वो रात कितनी मनचली होगी

तेरे सिरहाने याद भी मेरी
रात भर शम्मा-सी जली होगी

जिसने निकाला है आफ़ताब मेरा
वो तेरा घर तेरी गली होगी

दोस्तों को पता चला होगा
दुश्मनों-सी ही खलबली होगी

सबने तारीफ तेरी कि होगी
मैं चुप रहा तो ये कमी होगी

तेरी आँखों मैं झाकने के बाद
लडखडा़उँ तो मयकशी होगी

है तेरा जिक्र तो यकीं है मुझे
मेरे बारे में बात भी होगी
© ashish