वो रात
बातो बातो में जो ढली होगी
वो रात कितनी मनचली होगी
तेरे सिरहाने याद भी मेरी
रात भर शम्मा-सी जली होगी
जिसने निकाला है आफ़ताब मेरा
वो तेरा घर तेरी...
वो रात कितनी मनचली होगी
तेरे सिरहाने याद भी मेरी
रात भर शम्मा-सी जली होगी
जिसने निकाला है आफ़ताब मेरा
वो तेरा घर तेरी...