...

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गेंदा फूल
आज कमरे की सफ़ाई करते वक़्त मिली
तुम्हारी दी हुई अनमोल क़िताब
पन्नों को बस पलटते पलटते
खो गया तुम्हारी यादों में
और पाया गेंदा फ़ूल
बाल का टुकड़ा
दिल में लिखा
तेरे मेरे नाम का संकेत

पोछा लगा के कामवाली ने
एकाएक चलाया पंखा
हवा के झोंखें से उड़े
पन्ने, वो बाल और
गेंदे की पंखुड़ीयां

कुछ महीनों के बाद मैं अवाक
देख गमलों में गेंदें के फूल
खो गया फिर से यादों में
एवं रख दिया एक गेंदा
फिर से उसी पन्ने में

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