...

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main aur mere khayal
ख्यालों से चुनकर कुछ शब्द,
मैने कागज पर उतारे हैँ |
कुछ दास्तान है खुद की ,
कुछ सपनों की कतारें हैं |
मुकम्मल ना हो सके जो ,
अरमान-ए-गुलिस्तां से
वही अनकहे लव्ज ,
मैने शब्दों में सवारें हैँ |
कफ़न में दफन हैँ अल्फाज ,
और गला हो गया भारी है |
सारे अस्त्र बेअसर हैँ जहाँ ,
ये कागज-कलम अटारी है |
मिल गया है ज़रिया मुझे भी ,
हाँ अब मेरी बारी है |
------ written by mohita



© Mohita