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ヾ⁠(⁠˙⁠❥⁠˙⁠)⁠ノपापा अब संभलना सीख रही हूं मैंヾ⁠(⁠˙⁠❥⁠˙⁠)⁠ノ
पापा अब संभलना सीख रही हूं मैं,
जिन नन्हे कदमों को
आपने चलना सिखाया था..
अब उन्हीं कदमों से,
हर परिस्थिति में खड़े रहना
सीख रही हूं मैं,
पापा अब संभलना सीख रही हूं मैं॥1॥

अब चॉकलेट और खिलौने
की ज़िद नहीं करती...
बेमतलब पैसों को
अब खर्च नहीं करती,
शायद जिम्मेंदारियों का
सही मतलब सीख रही हूं मैं,
पापा अब संभलना सीख रही हूं मैं॥2॥

हर छोटी-छोटी बातों पर रोने वाली लड़की
अब गमों में भी मुस्कुराती है..
जो एक छोटे से चोट पर
पूरे घर को सर पर उठा लेती थी...
अब हजार ज़ख्म हो,
तब‌ भी किसी को नहीं दिखाती है,
शायद अब आप सा‌ बनना
सीख रही हूं मैं...
देखों ना पापा अब संभलना सीख रही हूं मैं॥3॥

आपकी तरह अपनी खुशियों को side में रख, परिवार की ज़रूरतें पूरी कर रही हूं अब,
अब वो बड़े-बड़े shopping mall में shopping करने का शौक नहीं रहा...,
जो आपके साथ किया करती थी...
अब तो आपकी तरह..
सब्जियों वाला हिसाब करना
सीख रही हूं मैं,
पापा पापा अब संभलना सीख रही हूं मैं॥4॥

#alfaazdilke

© ~Pandey Akanksha~