...

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जो होकर भी ना हुआ
रहती थी हमेशा यु मगन तुममें,
क्योंकि मुझे ईश्क था बेहिसाब तुमसे,
जब भी तुमसे अपने ईश्क का इजहार का मन हुआ,
मेरे भीतर के डर ने मुझे खीच लिया,
जो होकर भी ना हुआ।

रोज शाम को तुम्हे अपने गलियारे से देखती थी,
तुम्हें अपने मन में सजाए तुम्हारे सपने देखा करती थी,
पर जिस रोज नहीं देखा तुम्हें,
मेरी धड़कन वही रुक गयी,
जो होकर भी ना हुआ।

@nature lover☺
© Magar B. B