...

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उसने कैसे सोचा
हर दिन जिसके लिए हम खुद को संवारने में बैठे वो है गुज़रते दिन के साथ हमें ही खुद से परे करने में लगा है ,
हम जो उसे खोने से डरते हैं वो खुद हमे किसी राह पर छोड़ के बैठा है,
चाहतों की इस लड़ाई में हम अपनी चाहत से हार बैठे हैं और वो जिसे हम इतना चाहते वो हमे किसी गैर के साथ ख्वाबों को सजाने का इल्ज़ाम लगा बैठा है,
चारो और हम जिसकी खुशबू बिखरते हैं उसी एहसास को सीने से लगाने पर वो खुद हमसे इन खुशबू का पता पूछता है,
जिसका लफ़्ज़ों की मुस्कराहट आज़ भी इस चेहरे पर बरकार है वो खुद इन मुस्कराते चेहरे के पिछे छिपा राज है ,
।।।।। वो मुझसे पूछता है पता कि मैं खुद तुम्हें उसके हाथों सौप आऊँ, ।।।।।।
अब कोन समझाये मेरे महबूब को कि उसके आँखों से नजर नहीं आता कि सांसो ने एहसास करना छोड़ दिया,
~ये दिल जब जब धड़का तो सिर्फ उसका नाम ही है मेरे सासों के कोने कोने गूंजा~
© #onlymuskan