सुनो दोस्त!
दोस्त!
जानता हूँ, तुम ठीक नहीं हो
कुछ समय से...
पढ़ाई-लिखाई ठप सी पड़ी है,
घर के कामों में व्यस्त नहीं–
उलझ गए हो,
मात खा गए हो–
कई दोस्तियों में भी,
‘प्रेम’ भी
‘कहानी’ हो गया तुम्हारा
रुक से गए हो,
जानता हूँ–थक गए हो
बस थक गए हो
तो क्या हुआ?
कुछ नहीं,
बस थक...
जानता हूँ, तुम ठीक नहीं हो
कुछ समय से...
पढ़ाई-लिखाई ठप सी पड़ी है,
घर के कामों में व्यस्त नहीं–
उलझ गए हो,
मात खा गए हो–
कई दोस्तियों में भी,
‘प्रेम’ भी
‘कहानी’ हो गया तुम्हारा
रुक से गए हो,
जानता हूँ–थक गए हो
बस थक गए हो
तो क्या हुआ?
कुछ नहीं,
बस थक...