में ही क्यों?
पल रहा,उम्र बढ़ते चले,जीने वाला मज़ा,कहा मुझे नसीब है
कहते अक्सर क्योंकि,नादान वो क्या जाने? दुनिया चीज़ है
हक से खर्च की होती जरूरत,कमाना कहा? हमारा काम है
जिसे हासिल करने में बीते कई पुत,संबोधित सपूत नाम है
पोषण की चादर से निकले,क्या क्या! दिखता ख्वाब में?
कितनी सोच के बराबर होती दुनिया,अंत देता जवाब में
जमा करो,कुछ...
कहते अक्सर क्योंकि,नादान वो क्या जाने? दुनिया चीज़ है
हक से खर्च की होती जरूरत,कमाना कहा? हमारा काम है
जिसे हासिल करने में बीते कई पुत,संबोधित सपूत नाम है
पोषण की चादर से निकले,क्या क्या! दिखता ख्वाब में?
कितनी सोच के बराबर होती दुनिया,अंत देता जवाब में
जमा करो,कुछ...