तुम्हारी ख़ता
क्या कभी होता है, तुम्हें ये एहसास
कि छोड़ा है, तुमने मेरा साथ
शायद नहीं.............
छोड़ के निकल गये तुम आगे
तोड़ के रस्मों के वो धागे
कभी सोचा, क्या बीती होगी
रातें आंखों में काटी होगी
तुमने दिया आँसुओं का सैलाब
सिमट गये हैं हम अपने आप
और इतना सिमटे ..............
कि खुल ना पाये
वास्तव में हिल ना पाये
पर जान गये हैं हम अब ...
कि छोड़ा है, तुमने मेरा साथ
शायद नहीं.............
छोड़ के निकल गये तुम आगे
तोड़ के रस्मों के वो धागे
कभी सोचा, क्या बीती होगी
रातें आंखों में काटी होगी
तुमने दिया आँसुओं का सैलाब
सिमट गये हैं हम अपने आप
और इतना सिमटे ..............
कि खुल ना पाये
वास्तव में हिल ना पाये
पर जान गये हैं हम अब ...