...

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।।।..मंज़िल की चाहत..।।।✨📚❣️
मंज़िल दूर है मगर जाना जरूर है ।।
इन छोटी आंखों में सपने सजाए है बहुत
बस उसे पूरा कर दिखाना जरूर है ।।
ना जाने कब बचपन के सारे ख्वाब पीछे छूट गए हमारे।
कभी रोया करतीं थीं पहले मेडल के लिए
ताकी मां पापा के आंखो में खुशी देख पाऊं
हां थी मैं तब बच्ची ख्वाब भी तो छोटे थे मेरे
हां अब मेरे ख्वाब मेरी मंज़िल थोड़े बड़े हैं।
मगर मेरी चाहत अब बस इतनी सी है ।।
उसे हासिल करने के लिए माना रास्ते बहुत कठिन हैं।
मगर उस तक पहुंचा जरूर है ।
रातों की ये खामोश भरी बेला भी अब छोटी प्रतीत होने लगी है
जैसे जैसे समय बीतते जा रहे हैं।।
दिल की धड़कने तेज होती जा रही है ।।
एक घबराहट सी एहसास है ।
जो ना जाने क्यू मुझे पीछे की ओर ले जा रही है ।।
पर चाहत कुछ इस कदर खास है मेरे
कुछ छन विचलित भी अगर हो जाऊं
फिर भी ये कदम न रुकेंगे अब हमारे ।।

11.oct.23