दरिंदगी मुल्क की कब कम होगी
यू तो तिस सी उठती रहती है मन ही मन में
प्रश्न चिन्ह खड़ा कर देती है
कभी रोजगार के हादसों पर
कभी सरकार के फैसलों पर
कभी पुलिस के कारनामों पर
कभी डॉक्टरों की ग़लत रिपोर्टों पर
ना जाने क्यों दरिंदगी का गढ़ बन रहा है मेरा मुल्क
ना जाने एक दिन में कितनों
जिस्म नोंचे...
प्रश्न चिन्ह खड़ा कर देती है
कभी रोजगार के हादसों पर
कभी सरकार के फैसलों पर
कभी पुलिस के कारनामों पर
कभी डॉक्टरों की ग़लत रिपोर्टों पर
ना जाने क्यों दरिंदगी का गढ़ बन रहा है मेरा मुल्क
ना जाने एक दिन में कितनों
जिस्म नोंचे...