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दरिंदगी मुल्क की कब कम होगी
यू तो तिस सी उठती रहती है मन ही मन में
प्रश्न चिन्ह खड़ा कर देती है
कभी रोजगार के हादसों पर
कभी सरकार के फैसलों पर
कभी पुलिस के कारनामों पर
कभी डॉक्टरों की ग़लत रिपोर्टों पर
ना जाने क्यों दरिंदगी का गढ़ बन रहा है मेरा मुल्क
ना जाने एक दिन में कितनों
जिस्म नोंचे जाने लगा हैं
लगता है प्रशासन ही नहीं
लोग भी मुंह में दही जमाकर बैठे रहते हैं
यू तो तिस सी उठती रहती है मन ही मन में
प्रश्न चिन्ह खड़ा कर देती है
ना मकानों को तोडने से कुछ होगा
ना दरिंदों को जेल में रखने से कुछ होगा
यू तो तिस सी उठती रहती है मन ही मन में
प्रश्न चिन्ह खड़ा कर देती है
बस दरिंदों का दहन करना ही
सबसे बड़ी सजा होगी
यू तो तिस सी उठती रहती है मन ही मन में
प्रश्न चिन्ह खड़ा कर देती है
© Jagdish Chandra jd
प्रश्न चिन्ह खड़ा कर देती है
कभी रोजगार के हादसों पर
कभी सरकार के फैसलों पर
कभी पुलिस के कारनामों पर
कभी डॉक्टरों की ग़लत रिपोर्टों पर
ना जाने क्यों दरिंदगी का गढ़ बन रहा है मेरा मुल्क
ना जाने एक दिन में कितनों
जिस्म नोंचे जाने लगा हैं
लगता है प्रशासन ही नहीं
लोग भी मुंह में दही जमाकर बैठे रहते हैं
यू तो तिस सी उठती रहती है मन ही मन में
प्रश्न चिन्ह खड़ा कर देती है
ना मकानों को तोडने से कुछ होगा
ना दरिंदों को जेल में रखने से कुछ होगा
यू तो तिस सी उठती रहती है मन ही मन में
प्रश्न चिन्ह खड़ा कर देती है
बस दरिंदों का दहन करना ही
सबसे बड़ी सजा होगी
यू तो तिस सी उठती रहती है मन ही मन में
प्रश्न चिन्ह खड़ा कर देती है
© Jagdish Chandra jd
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