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इंसानियत खो गई

#दिनांक:-8/8/2024
#शीर्षक:-इन्सानियत खो गई

बिछुड़न की रीति में स्वयं को पहचाना
भीडतंत्र में बहुत प्रतिभावान हूँ जाना ।।1।

नयन कोर बहते रहे शायद कभी सूखे
राधा का चोला उतार पार्वती सरीखे ।।2।

तुम गए ठीक से, पर सबकुछ ठीक क्यूँ नहीं गई
इरादे वादे सारे तेरे गए पर याद क्यूँ नहीं गई।।3

सुन्दर सुनीत सुशील सुशोभित सुकोमल
नीरज से नफरत अँकुडी प्रेम उन्नत दो दल ।।4।

पहनकर चैन,...