...

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वक़्त और मोहब्बत
कुछ कदमों की दूरी थी,
पर न जाने क्यों मिलो की दूरी थी,
पास होकर भी न जाने क्यों अंजानो सी फीलिंग थी,
पास न होकर भी अपने पन का एहसास हुआ करता था,
आज पास होकर भी अंजान से लगते हो,
लोग बदल जाते है जानते थे,
पर तु भी उन्ही लोगों मे से होगा नही जानते थे,
जानते थे तुम्हारे लिए सिर्फ एक टाइम पास थे फिर भी तेरी बातों पर भरोसा करके चलते रहे लगा की शायद मेरी मोहब्बत तुम्हे दूर नही जाने देगी, 💔
पर जब वक़्त बदला और मेरी जरूरत खत्म हुई तब तेरे दिल की बात बाहर आई,
कहा उसने की तूने गुस्से और मेरे काम के बीच आने के सिवा दिया ही क्या है 🙂
सच ही था ये जानकर की तेरे पास वक़्त नही फिर भी तेरा इंतज़ार किया, और इंतज़ार मे देने जैसा कुछ नहीं,
ज़िंदगी का वो वक़्त जो अपनों से लड़कर तुझे दिया था उसे देना थोड़ी कहते है,
तेरे गुस्से को सेकर भी तुझे मनाना इसे देना थोड़ी कहते है,