...

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इनायत
नायाब कोई आयत बन जाऊँगा
बेजान पड़ा था पत्थरों की तरहा
तिश्नगी से तराशा जा रहा हूँ मैं
मुझे कोई गढ़ने लगा है।

क्यों है ये शोर ये फड़फड़ाहट
गर्द भरे पन्नों के पलटने का
ग़ुमनाम...