भीड़
#भीड़कीकविता
यहां भारी भीड़ है, इंसानो की श्रीमान,
चरु दिशा सब दौड़ रहे हैरान - परेशान;
पूछने को समय नहीं ना बताने को नाम,
यहाँ हर शख्स ढूंढ रहा अपना मुकाम।
क्या बस और रेल हर जगह रेलम - पेल,
जीवन एक प्रतियोगिता सब खेलें खेल;
आते - जाते भाव सब एक दूजे से बेमेल,
भ्रमित सभी सबका निकल रहा है, तेल।
ये रंग- बिरंगी भीड़ सजा अद्भुत रंगमंच
सजे- धजे पात्र चलें अनन्त स्वप्न सहेज,
किसी को भी अदाकारी से नहीं परहेज,
झूठी ...
यहां भारी भीड़ है, इंसानो की श्रीमान,
चरु दिशा सब दौड़ रहे हैरान - परेशान;
पूछने को समय नहीं ना बताने को नाम,
यहाँ हर शख्स ढूंढ रहा अपना मुकाम।
क्या बस और रेल हर जगह रेलम - पेल,
जीवन एक प्रतियोगिता सब खेलें खेल;
आते - जाते भाव सब एक दूजे से बेमेल,
भ्रमित सभी सबका निकल रहा है, तेल।
ये रंग- बिरंगी भीड़ सजा अद्भुत रंगमंच
सजे- धजे पात्र चलें अनन्त स्वप्न सहेज,
किसी को भी अदाकारी से नहीं परहेज,
झूठी ...