...

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प्रतीक्षा की घड़ी

स्थिर तन चंचल मन,
अडिग प्रतिक्षा की लगन;
शम्भू जैसे पाने को गौरा संग,
चली गौरी ओढ़े प्रेम का रंग,
लिए मुस्कान होठों पे संग ,
है प्रतीक्षा बीते कई सावन।
है देखो कितना व्याकुल मन ,
मिलने का जब ले लिया है प्रण।