...

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" हे कृषक तुम हो महान "
हे भूमि पुत्र भगवान, हे कृषक तुम हो महान।
हे श्रम समन्दर, तुम हो, देश के गौरव गान।।

बंजर धरती को भी तुम, खुश हरा-भरा कर देते हो।
कांटे चुनकर फूलों को तुम, डगर-डगर कर देते हो।।
हे खेतिहर हलधर तुम, हो तिरंगा की शान।
हे भूमि पुत्र भगवान................................।।

खेत की हरियाली देख , अधरों पर मुस्कान रहे।
जीवन में खुशी की आशा, लिए हर इंसान रहे।।
हे अन्नदाता जीवित है, तुमसे ही जहान।
हे भूमि पुत्र भगवान................................।।

प्यार के अनुभव से करते, समस्या का समाधान।
गाँव शहर के आंसू दर्द, करते हो तुम निदान।।
यदि तुम न ये कर्म करते, होते सब बेजान।
हे भूमि पुत्र भगवान...............................।।

धूप बारिश जाड़ा आप, हर मौसम सह जाते हैं।
"मैं" का पसीना निकाल, आप में "हम" रह जाते हैं।।
हे कर्म पुजारी आपसे, है कौन अनजान।
हे भूमि पुत्र भगवान.................................।।

प्यास अधूरी पानी बिन, फसलें कभी तरस जाती।
वो हैवान आपदा कभी, आफत बन बरस जाती।।
नष्ट हुई फसलों में फिर, जुटते करके ध्यान।
हे भूमि पुत्र भगवान.................................।।