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" साझा "
" साझा "
रात से गले मिल कर आओ प्रिये हम एक दूजे के समस्त पीर बांट लेते हैं..।
अधूरी रह गई है जो हमारे जज्बात आज हम एक-दूसरे के संग प्रिये साझा कर लेते हैं..।
यूँ खुद को एकाकी कर के असहनीय पीड़ा न दो..।
यह मेरे लिए किसी मरण से कम नहीं है..!
जो भी है वह हम दोनों का है..!
🥀 teres@lways 🥀
रात से गले मिल कर आओ प्रिये हम एक दूजे के समस्त पीर बांट लेते हैं..।
अधूरी रह गई है जो हमारे जज्बात आज हम एक-दूसरे के संग प्रिये साझा कर लेते हैं..।
यूँ खुद को एकाकी कर के असहनीय पीड़ा न दो..।
यह मेरे लिए किसी मरण से कम नहीं है..!
जो भी है वह हम दोनों का है..!
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