थक चुका हैं।
आज बीमारी से इस दुनिया का क्या हाल है,
कई ज़िंदगियों की हुई कुछ और ही चाल है,
जहाँ एक और बीमार बिस्तर का निकलता जाल है,
तो दूसरी और उसे बंधी हुई दुआओ की ढाल है।।
यहाँ कोई अपना अपनों से ही रिश्ते तोड़ रहा,
तो कोई मदभेद के कारण मुँह मोड़ रहा,
कही कोई अपनी जमापूंजी...
कई ज़िंदगियों की हुई कुछ और ही चाल है,
जहाँ एक और बीमार बिस्तर का निकलता जाल है,
तो दूसरी और उसे बंधी हुई दुआओ की ढाल है।।
यहाँ कोई अपना अपनों से ही रिश्ते तोड़ रहा,
तो कोई मदभेद के कारण मुँह मोड़ रहा,
कही कोई अपनी जमापूंजी...