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तुम हारो मत
तुम हारो मत

हार के ही अंत में तो जीत का मोती छुपा है
राख में भी आग है इस आग से ही सब हुआ है
बोझ हो कंधो पे जब खुदके विजय अभियान का
किंचित कभी न बोध करना मान या अपमान का
कुछ लोग हैं जो बिन कहे तुम पर सदा इठलायेंगे
तुम हारकर अर्जुन बने तो वो कृष्ण बनकर आएंगे
पूछेंगे उत्तर दो मुझे है तुमको भय किस बात का
समय हो प्रतिकूल तो वो समय है प्रतिघात का
इस बात का तुम मोह छोड़ो की पराजय गर हुई
शब्दों की शक्ति है तुममे बातें हैं अद्भुत जादुई
धुंध है कोहरे की जो साहस अगन खा जायेगी
छंट जाएगा तुझसे कुहांसा बेला विजय आ जाएगी
रुकना मना थकना मना इस हेतु अपना मन मना
हैं साथ में माधव तुम्हारे तू विजय रथ अपना बना
© VIKSMARTY _VIKAS✍🏻✍🏻✍🏻