फरेब इश्क
हर वक्त गुज़रे रात दिन के सहारे तेरे बिना मैं रोती रही हुं
दर्पण में खुद को निहारु जब जब तब तब मैं दिल को टोती रही हुं
नज़र से नज़र जब नज़र मिली तो नज़र ज़वाने की लग गई है
भरी बेवफ़ाओ की...
दर्पण में खुद को निहारु जब जब तब तब मैं दिल को टोती रही हुं
नज़र से नज़र जब नज़र मिली तो नज़र ज़वाने की लग गई है
भरी बेवफ़ाओ की...