...

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हे हरि !
हे हरि तुम कब आओगे ?
मैं पाठ करूँ,
दिन-रात करूँ,
हे हरि तुम कब आओगे ?
दर्शन को तुम्हारे
मैं प्यासा हूँ,
सब कहते
मैं बैठ धरा पर
आसमान की आस करूँ,
पर हरि तुम आओगे !
मन मेरा यही कहता हैं
तुम आओगे, तुम आओगे !
हे हरि तुम कब आओगे ?
मैं ध्यान करूँ,
मैं जाप करूँ,
हरि मैं तुम्हारी आस करूँ !
हे हरि तुम कब आओगे ?
मथुरा हो या वृंदावन !
गोवर्धन की चोटी तक
मैं खोज तुम्हें आया हूँ !
हरि तुम अब कह भी दो ना,
के तुम कब...