रात.....
रात की करामात भी बहुत निराली है;
कभी वसंत के फूलों जैसी,
कभी एक सुखी डाली है।
कभी मीठे रसगुल्लों जैसी,
कभी मिर्ची की थाली है।
कभी ग्रीष्म में पूर्वा जैसी,
कभी आषाढ़ की रुत मतवाली है।
हर रात की एक अलग कहानी,
और ये सभी, गौर से सुनने वाली है।
कहने को तोह बस...
कभी वसंत के फूलों जैसी,
कभी एक सुखी डाली है।
कभी मीठे रसगुल्लों जैसी,
कभी मिर्ची की थाली है।
कभी ग्रीष्म में पूर्वा जैसी,
कभी आषाढ़ की रुत मतवाली है।
हर रात की एक अलग कहानी,
और ये सभी, गौर से सुनने वाली है।
कहने को तोह बस...