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jindagi
जिंदगी को धूएं ने उङा दिया
आए हर खुशी के ग़म को बूझा दिया

हर पल तेरा था तूने भी भूला दिया
जिंदगी कि क्या क़ीमत थी नशे में उङा दिया।

जीवन‌ में न‌ए कि तलाश किया
कम्कत वो न मिली जिसका मैं हरवक्त तलाश किया।

दिल के झरोखे में एक दिया जला था
न‌ जाने कब बूझ गया, जिसका ग़म था वहीं धोखा कर गया।।

छोटे से रास्ते से चलना सिखा था
दुनिया से रूबरू होना भी वही सिखा था।।

वक्त कब बदल जाएगा सोचा न था
धीरे धीरे जिंदगी भी निकल जाएगी।।

वो जिंदगी बहुत प्यारी थी जब लगती बहुत भारी थी ।
नीद में सो सोकर जिंदगी जब गुजारी थी।।

न स्कूल जाना अच्छा लगता था न घर का काम
खेल ही हमारी जिंदगी थी, खेल ही सपना ।।

किसमें मन लगेगा कल क्या होगा अपना
न कभी सोचा था कुछ बनने का कोई सपना।।

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© jindagi ek safar *D.y*