पिता
**पिता**
पिता ! ये शब्द ही कितना महान है ,
हमारी पुरी दुनिया और जहान है ,
खुशीयों एक की बड़ी सी दुकान है,
माथे पे उनके ना कोइ सिकन्ज
ना चेहरे पे थकान है ,
वो सुरज की पहली किरण है,
जो रोशन कर दे हमारी जहाँ हैं
चमकती हुइ ओस की बुन्दे हैं,
जो चमकाते हमारी...