...

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तेरे साथ सफ़र
हकीकत हो पर ख्वाब देख रही हूं,
जीवन भर का तेरे साथ सफ़र की
हाथों में हाथ रख चले क्षितिज की ओर
न फ्रिक राह के कठिनाईयों की
न ज़िक्र जमाने के रूसवाइयों की।
चले हम मंलग हो के एक दूजे के
संग क़दम से क़दम मिलाकर के।
जान हो ज़िगर हो हमसे ही जुदा हो,
ढुंढती हूं तुम्हें तेरे साथ सफ़र को
एक अफसाना तेरे नाम कर जाने को।



© Sunita barnwal