
44 views
बन गए...
मेरे अंदर के दु:ख, कब क़हर बन गए
कब आंसू बन गए, कब ज़हर बन गए
रंग दिए जिन्हे इंसां ने, पाश्चात्य सभ्यता से
वे भोले-भाले गाँव अब, सारे शहर बन गए
जो सिर्फ प्यास बुझाते थे, छोटी चिड़िया की
पानी के वो कतरे, तूफ़ां की लहर बन गए
जो भी चाहते थे, मुझे गर्त में धकेलना
उनके ये ख़्याल, उन्ही के लिए गहर बन गए
जिसने चाहा दिल से मन्ज़िल तक पहुँचना
उसके कदमों से कितने ही डहर बन गए
मेरे अंदर के दुःख, कब कहर बन गए
कब आंसू बन गए, कब ज़हर बन गए
© Ruby
(Old)
#hindiquote #hindipoetry #iwrite #writco
कब आंसू बन गए, कब ज़हर बन गए
रंग दिए जिन्हे इंसां ने, पाश्चात्य सभ्यता से
वे भोले-भाले गाँव अब, सारे शहर बन गए
जो सिर्फ प्यास बुझाते थे, छोटी चिड़िया की
पानी के वो कतरे, तूफ़ां की लहर बन गए
जो भी चाहते थे, मुझे गर्त में धकेलना
उनके ये ख़्याल, उन्ही के लिए गहर बन गए
जिसने चाहा दिल से मन्ज़िल तक पहुँचना
उसके कदमों से कितने ही डहर बन गए
मेरे अंदर के दुःख, कब कहर बन गए
कब आंसू बन गए, कब ज़हर बन गए
© Ruby
(Old)
#hindiquote #hindipoetry #iwrite #writco
Related Stories
82 Likes
16
Comments
82 Likes
16
Comments