...

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मेरे पिता...
पिता से मैं शुरू,
पिता ही मेरे गुरु,
पिता के सख्त रवैए से थोड़ा डरूं
पर पिता से प्यार बहुत करूं।

पिता से मिला नाम,
पिता से मिली पहचान,
पिता साथ हो तो लगता है
संग मेरे सारा जहान।

मेरी हताशा पर उत्साह को बढ़ाया है,
मेरी हार पर पिट को थपथपाया है,
मेरी उलझनों को सुलझाने का काम
पिता तो है हर समस्या का समाधान।

अंगुली छोड़ दी है पिता ने
ताकि मैं चल सकूं
मगर इस बात से मैं नहीं हूं अनजान,
हाथ...