jativad Ki Aag Mein Jalta Samaj
जातिवाद की आग में जलता समाज,
भेदभाव के चरम पर चला जाता है।
हरिमन और श्याम को तुलना करता है,
जाति का वेश लिया नगर में चला जाता है।
एक दिखावा है ये विभाजन,
मनुष्यता की मूरत है कहाँ?
ज्ञान और योग्यता से उन्नति करें,
जातिवाद के जाल से बचते चलें।
मानवता का द्वार खोल दो,
भेदभाव के दीवार गिरा...
भेदभाव के चरम पर चला जाता है।
हरिमन और श्याम को तुलना करता है,
जाति का वेश लिया नगर में चला जाता है।
एक दिखावा है ये विभाजन,
मनुष्यता की मूरत है कहाँ?
ज्ञान और योग्यता से उन्नति करें,
जातिवाद के जाल से बचते चलें।
मानवता का द्वार खोल दो,
भेदभाव के दीवार गिरा...