...

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मजबूरी
#मजबूरी
झूठ नहीं मजबूरी है,
तुम जानों क्या क्या ज़रूरी है;
नंगे बदन की भी अपनी धुरी है,
भूख क्या ना करवाए ;
किसके लिए क्या जरूरी है
वक्त लंगड़े को भी दौड़ाए
ये खुशी नही मजबूरी है
जिंदगी की तलाश में घुम
होना क्या जरूरी है ;
सच और झूठ का गर फासला
मिट जाए तो वो जरूरत कम
मजबूरी है
© sac_lostsoul