...

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ज़िन्दगी :एक कविता
ज़िन्दगी की कहानी कुछ इस कदर चल रही है
जो है उसकी कोई कदर ही नहीं,
जो नहीं है उसकी हाल _ख़बर चल रही है
कतरा कतरा ज़र्रे _ज़र्रे में होकर
ज़िन्दगी कुछ यूं ही मचल रही है
रात की तो रही बात अभी दूर
दिन की शाम भी कुछ ऐसे ढल रही है
दोपहर है अभी हुई नहीं
फ़िर भी बर्फ सी पिघल रही है
हूं शान्त मैं ऊपर से कोई जाने क्या
कितनी भावनाएँ मन में उबल रहीं हैं
हैं तैयार हम आगे बढ़ने को जरूर
आकांक्षाएं दिल में उछल...