खासियत
मिलना, ना मिलना, ये तो वक़्त की नज़ाक़त पर है;
बात करते ही पता चलता है तबियत क्या है।
वो मिला था मुझे एक रोज़ मुस्कुराते हुए;
बाद में मुझे पता चला उसकी ख़ासियत क्या है।।
© Saddam_Husen
बात करते ही पता चलता है तबियत क्या है।
वो मिला था मुझे एक रोज़ मुस्कुराते हुए;
बाद में मुझे पता चला उसकी ख़ासियत क्या है।।
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