...

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तेरी कमी
वही रात, वही चाँद और वही नदी का किनारा,
जहाँ कभी हम मिला करते थे सुबह शाम ओ यारा।

रुक गयी रात, छुप गया चाँद और थम गयी नदी का धारा,
इक तेरी कमी के कारण साजन, बदला हर एक वो नज़ारा।

सब कुछ है मेरे पास आज बस एक तेरी कमी है यारा,
लौट आओ मेरे पास की अब तुम बिन होता नहीं गुज़ारा।

डूबती टूटती साँसें माँगे सिर्फ़ तुम्हारे बाहों का सहारा,
अटकी पड़ी है जान तुम में, समझो धड़कनों का इशारा।

मान भी जाओं लौट आओ ओ मेरे हमदम ओ मेरे यारा,
सब कुछ है मेरे पास, बस एक तेरी कमी है ओ मेरे यारा।