...

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बचपन
बचपन का वो प्यारा खेल
जो कराये दिलों का मेल ।।

दिन भर मस्ती, शोर मचाना
खेल-खेल में झगड़ने लग जाना
पल में रूठना पल में मनाना
दौड़ के मां के आंचल में छुप जाना
मां का प्यार से सहलाना और समझाना
खेल में लगा है जीतना, कभी हार भी जाना ।।

रात नीम की छांव में वो बड़ा सा आंगन
आंखें बड़ी करके नभ को निहारना
देखते थे तारों का टिमटिमाना
दादी- नानी का कहानियां सुनाना
मिल जाता था खुशियों का खज़ाना
कहां गया वो बचपन मस्ताना ।।

आज बड़े हुए तो सोचते है कि
अच्छा था वो बचपन हमारा
जहां थी कोई फिकर ना कोई चिंता उपजाना
गहरी नींद में मीठे सपने सजाना
काश लौट आता वो गुज़रा जमाना
कहां गया वो बचपन मस्ताना ।।
Happy Children's Day
© poonam